इस प्रकार वे लोग मानवाधिकार के संरक्षक होने का दावा कर रहे हैं जिनके इतिहास मूल मानवाधिकार के उल्लंघन से काले हैं।
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बरिघम के अध्यक्ष डॉक्टर बेत्से नाबेल ने मूर्ति के बारे में दिए एक बयान में कहा, हमारा मानना है कि गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा तक पहुंच एक मूल मानवाधिकार है।
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और इस तरह प्राण का अधिकार एक मूल मानवाधिकार है और चैयरमेन रेलवे बोर्ड बनाम चंद्रिमा दास [२ ०००] २ एस. सी. सी. ४ ६ ५ में उच्चतम न्यायालय ने भी माना कि अनुच्छेद २ १ में प्रतिष्ठापित '' प्राण '' के अधिकार में मानव गरिमा के साथ जीवित रहने का अधिकार सम्मिलित है और यदि किसी स्त्री के साथ बलात्संग किया जाता है तो वह उसके अधिकार का उल्लंघन करता है.